यकीन मानो कोई मजबूरियां नहीं होती..
लोग बस आदतन वफ़ा नहीं करते..



जुदा हुए हैं कई लोग.....तो एक तुम भी सही...
अब इतनी सी बात पे क्या ज़िन्दगी हराम करें.........




वो मिला भी तो फ़क़त खुदा के दरबार में..
अब तुम ही बताओ की मोहब्बत करते या इबादत..



उम्र-ऐ-जवानी फिर कभी ना मुस्करायी बचपन की तरह..

मैंने साइकिल भी खरीदी, खिलौने भी लेके देख लिए..





तेरे बिना हर एक रात हम पे भारी है,

करवटें बदल बदल के हमने रात गुजारी है।

खवाबो ने तो रुखसती ले ही ली थी,

अब नींद तुम्हारी बारी है।

एक तुम्हारे इंतजार में पलकों पे सितम जारी है,

आज तो कट गयी अब कल की तैयारी है।




कितनी रक़म लोगे किराये के कातिलो..

मुझे इश्क का सर कलम चाहिए..


रिश्ते जलते हैं तो भी राख नहीं बनते..

ता-उम्र सुलगते हैं आहिस्ता-आहिस्ता..



किस तरह संभालोगे तुम जिंदगी के रिश्ते..

ज़रा सी एक जबान तो संभाली नहीं जाती..



तेरी ख़ुशी की खातिर मैंने कितने ग़म छिपाए..

अगर मैं हर बार रोता तो तेरा शहर डूब जाता..

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