बदला न अपने आपको जो थे वही रहे;
मिलते रहे सभी से अजनबी रहे;

अपनी तरह सभी को किसी की तलाश थी;
हम जिसके भी क़रीब रहे दूर ही रहे;

दुनिया न जीत पाओ तो हारो न खुद को तुम;
थोड़ी बहुत तो जे़हन में नाराज़गी रहे;

गुज़रो जो बाग़ से तो दुआ माँगते चलो;
जिसमें खिले हैं फूल वो डाली हरी रहे;

हर वक़्त हर मकाम पे हँसना मुहाल है;
रोने के वास्ते भी कोई बेकली रहे।

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